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कविता

हलफनामा

जसबीर चावला


सुने को
अनसुना किया
अनसुने को
सुन लिया
*
तुमने क्या कहा
क्या सुन लिया
क्या मैंने कहा
क्या सुन लिया
*
कुछ उधेड़ दिया
कुछ बुन दिया
उधेड़-बुन में
जीवन बीत गया

 


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हिंदी समय में जसबीर चावला की रचनाएँ